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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
उत्तर -
एकदलीय प्रणाली के लाभ
(1) इससे देश में दृढ़ शासन की स्थापना होती है जिसके कारण देश उन्नति के मार्ग पर बढ़ता है, सोवियत संघ ने जो उन्नति की है, वह उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
(2) इसमें लम्बी योजना का बनना और चलाना सम्भव है।
(3) देश की अद्भुत आर्थिक प्रगति होती है, क्योंकि सरकार विभिन्न वर्गों से झगड़े को समाप्त कर देती है, देश का सारा ध्यान उत्पादन बढ़ाने में लगाती है।
(4) इसमें एक नेता के हाथ में सम्पूर्ण शक्तियों को केन्द्रित होने से शासन सम्बन्धी क्षमता उत्पन्न होती है और पक्षपात, कुल पक्षपात और चोरबाजारी का अन्त होता है।
(5) सारे देश में एकता और अनुशासन उत्पन्न हो जाता है।
(6) व्यर्थ की आलोचना और प्रचार में समय नष्ट नहीं होता है।
एकदलीय पद्धति की हानियाँ
(1) इस प्रणाली में एक ही दल होता है और दूसरे दलों को बनाने की आज्ञा नहीं होती, इसलिए विचारों की स्वतंत्रता नष्ट हो जाती है।
(2) लोकतंत्र का अन्त होता है और तानाशाही का उदय होता है।
(3) विभिन्न हितों और कार्यों की कोई सुनवाई नहीं होती है।
(4) इस प्रणाली में सरकार मनमानी करती है और अनुत्तरदायी शासन होता है।
(5) व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधा पड़ती है, क्योंकि नागरिक की सम्पूर्ण स्वतंत्रता नष्ट हो जाती है।
(6) इसमें आतंकवाद का बोलबाला रहता है और विरोधियों का कड़ा दमन किया जाता है। (7) इस प्रणाली में तानाशाह अपना मान-सम्मान बनाये रखने हेतु हमेशा सैनिक तैयारियों में जुटे रहते हैं. जिससे देश को हानि पहुँचती है।
द्वि-दलीय पद्धति
(Bi-Party System)
द्वि-दलीय पद्धति का अर्थ है कि एक देश में दो दल हों और तीसरा हो भी तो वह महत्वहीन हो। उदाहरणस्वरूप, ब्रिटेन में दो दल के अलावा तीसरा दल तो है, परन्तु राजनीतिक खेल मुख्य रूप से अनुदार दल और मजदूर दल के बीच ही चलता रहता है। इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में भी रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी ही मुख्य रूप से हैं। वैसे साम्यवादी दल भी है, लेकिन मान्यता दो ही दल-रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दल को प्राप्त है। इसलिए कहा जा सकता है कि ब्रिटेन और अमेरिका में द्विदलीय पद्धति है। फ्रांस, इटली और पश्चिमी यूरोप के कई देशों में ऐसी ही व्यवस्था है।
द्वि-दलीय पद्धति के गुण
(1) सरकार का बनाना आसान - इस पद्धति में राज्य के मुखिया के लिए यह आसान हो जाता है कि किस दल को मन्त्रिमण्डल बनाने के लिए निमंत्रित किया जाये। जिस दल को संसद में बहुमत प्राप्त होता है, उस दल को राज्य का मुखिया सरकार बनाने के लिए निमंत्रित करता है। यहाँ स्पष्ट है कि द्वि-दलीय पद्धति दो में से एक को तो स्पष्ट बहुमत रहता ही है।
(2) सरकार व प्रशासन की सफलता को आसानी से निश्चित किया जा सकता है - द्वि-दलीय में एक ही दल का शासन होता है, इसलिए यदि वह अच्छा कार्य करे तो उसको इसका श्रेय मिलेगा और यदि कोई अनुचित कार्य करे, तो उसकी बदनामी होगी। इसलिए सरकार हमेशा सक्रिय व सचेत रहती है।
(3) इसमें सरकारी नीति की निरन्तरता सम्भव है - द्वि-दलीय पद्धति में सरकार स्थिर रहती है, इसलिए यह बहुत दृढ़ होती है और एक अच्छी नीति का सदा अनुसरण करती है। इसके विरुद्ध बहुदलीय पद्धति में मंत्रिमण्डल निरन्तर बदलता रहता है। इससे सरकार कमजोर हो जाती है। जब द्वि-दलीय पद्धति की सरकार बनती है तो लम्बी योजनाएँ बन सकती हैं और वह देश के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगी। यह सर्वविदित है कि राजनीतिक स्थायित्व विकास का आधार है।
(4) सकारात्मक आलोचना - द्वि-दलीय प्रणाली में विरोधी दल द्वारा सरकार की सकारात्मक आलोचना की जाती है, क्योंकि विरोधी दल यह जानता है कि यदि सत्ताधारी दल की सरकार असफल हो गई तो सरकार बनाने की जिम्मेदारी उस पर आ जायेगी। उस परिस्थिति में इस सरकार को उन सब खामियों को दूर करना होगा जिनके कारण वह सत्ताधारी दल की पहले आलोचना कर रहा था।
(5) सरकार अधिक स्थिर रहती है - द्वि-दलीय पद्धति में सरकार अधिक स्थिर रहती है, क्योंकि जिस दल का संसद में बहुमत होता है, वह सरकार का निर्माण करता है और दूसरा दल विरोधी बनता रहता है। इसमें मिली-जुली सरकारें नहीं होती हैं। यदि संसद में सत्तारूढ़ दल का बहुमत न रहे तो उसे मंत्रिमण्डल से अपना त्यागपत्र देना पड़ता है।
(6) सरकार का सीधा चुनाव - द्वि-दलीय पद्धति में सरकार का जनता द्वारा सीधा चुनाव होता है, क्योंकि जनता जानती है कि किस दल को वोट देने से किस प्रकार की सरकार बनती है। अतः द्विदलीय व्यवस्था में सरकार का सीधा चुनाव हो जाता है।
(7) प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण स्थिति - द्वि-दलीय पद्धति में प्रधानमंत्री की स्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि उसे अन्य दलों को साथ लेकर चलना नहीं पड़ता है। द्वि-दलीय पद्धति में उसे केवल अपने ही दल का विश्वास प्राप्त करना होता है। प्रधानमंत्री को अपने दल से पर्याप्त बहुमत के कारण सरकार चलाने में ज्यादा कठिनाई नहीं होती है।
द्वि-दलीय पद्धति के दोष
(1) बहुमत दल की तानाशाही - इस पद्धति में बहुमत दल की तानाशाही स्थापित की जाती है, क्योंकि वहाँ विरोधी दल का भय नहीं रहता है।
(2) विधानमण्डल की प्रतिष्ठा कम हो जाती है - जहाँ द्वि-दलीय पद्धति होती है वहाँ पर संसद का बहुमत मंत्रिमण्डल का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री का संसद पर विशेष प्रभाव होता है, क्योंकि वह बहुमत दल का नेता होने के कारण इसका भी नेता होता है। वह अपनी इच्छानुसार बजट विधेयक, नीतियाँ और संधियाँ पास करा सकता है। यदि संसद उसका समर्थन न करे तो प्रधानमंत्री इसके निचले सदन को राष्ट्रपति से अपील कर भंग कर सकता है। इसलिए संसद प्रधानमंत्री के हाथ में कठपुतली बन जाती है। (3) मतदाताओं के लिए चयन की कम स्वतंत्रता- जब मतदाता के सामने दो ही दल हों तो उसमें किसी एक का चुनाव करना ही पड़ता है, चाहे दोनों दल खराब ही क्यों न हो। इस प्रकार मतदाताओं को सरकार के चयन में कम स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
(4) मन्त्रिमंडल की तानाशाही – जहाँ द्वि-दलाय पद्धति होती है वहाँ मंत्रिमंडल की तानाशाही स्थापित हो जाती है जैसा कि इंग्लैण्ड में हुआ है, क्योंकि इसके पीछे संसद में बहुमत दल का समर्थन होता है। ऐसी परिस्थिति में ये दल विरोधी दल का भय नहीं रखते।
(5) इससे राष्ट्र दो विरोधी गुटों में बँट जाता है - जब किसी देश में केवल दो ही दल होते हैं तो उनकी विचारधारा में बहुत अधिक अन्तर होता है और सारे देश में नीतियों को लेकर तीव्र विवाद खड़ा हो जाता है।
(6) सभी विचारों को विधानमंण्डल में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है - द्वि-दलीय व्यवस्था में मतदाता को उन विचारों के प्रकट करने की स्वतंत्रता नहीं होती जो उन दोनों से भिन्न हों। जहाँ अनेक दल होते हैं वहाँ मतदाता अपने से अधिक मिलते-जुलते विचार वाले दल को अपना-अपना मत देते हैं इस तरह से वहाँ सब विचारों का प्रतिनिधित्व मिल पाता है।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
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- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।